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पिता-भोला प्रसाद शर्मा

Bhola

पिता 

पिता जैसा कोई वरदान नहीं
पिता जैसा कोई महान नहीं

पिता हम आपकी निन्दिया है
चमकाती माँ की बिन्दिया है

पिता हँसता हुआ फूल है
रक्षा कवच बना त्रिशूल है

पिता से दिखती हमारी शान है
पिता से ही मेरी पहचान है

पिता छुपाते हर गम व राज़ है
कुछ न कहते खुलकर आज है

पिता दिखते ऊपर से कठोर है
पता कहाँ खुशियाँ किस ओर है

पिता निभाते रस्मों का दस्तूर है
पिता माँग की चमकती सिन्दूर है

पिता भूल जाते खुद का पता
मना जाते गलतियाँ बिन खता

पिता कभी नाचीज नमकीन है
ख्वाहिशे की बेहद शौकीन है

पिता सहे पहाड़ सा बोझ है
चमकता सूरज सा तेज-ओज है

पिता रहमों-करम का ताज़ है
भरते उड़ान दिखता बाज़ है

पिता के रहते सब आसान है
पिता की अलग ही पहचान है

पिता हर लहरों की सामान्य है
खुशियों का जीता जागता दुकान है

पिता जिन्दगी की साहस है
कीमती मोतियों में पारस है

माँ छोटी गलतियों की साख की
डर, डर भी पिता से आवाक है

पिता सुशासन और रीत है
हर जख्म सरीखे मनमीत है

पिता में ही दिखे चारो धाम है
पिता से बढ़ जग में न कोई नाम है

पिता ही हमारी उम्मीद है
होता पूरा उनसे ही हमारी जीद है।

भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ, पूर्णिया (बिहार)

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