रक्षा बंधन
सुमधुर स्नेहिल प्रीत का
विश्वास भरा पावन बंधन
बांध कलाई रेशम की डोरी
शुभ संस्कार भरा रक्षा बंधन ।
सुमंगल थाल सजाती बहना
भैया हर पल हिय मे रहना
माथे सुगंधित कुमकुम चंदन
स्नेह निःसृत रक्षा बंधन ।
कच्चे धागे का अटूट रिश्ता
पवित्र प्रेम का खिला गुलिस्ता
स्नेह की अविरल बहती गंगा
दें आशीष आज फरिश्ता ।
सरहद पर अहर्निश खड़े भैया
चुमूं कलाई पड़ूं तेरी पावन पैंया
मेरी अस्मिता के तुम रक्षक
राष्ट्र के पुनीत वीर संरक्षक ।
हर नारी मे बहन को देखना
नर मे मै भाई को पाऊँ
हुमायूं कर्णावती को शत नमन
समर्पण भरा रक्षा बंधन ।
दिलीप कुमार गुप्ता
प्रधानाध्यापक म. वि. कुआड़ी
अररिया बिहार
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