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भरकर आस है -रामकिशोर पाठक

Ram Kishore Pathak

Ram Kishore Pathak

भरकर आस है – मनहरण घनाक्षरी

लाल मुख प्राची किए,
मोह रही जैसे प्रिय,
भाव को जगाती हिय, भरकर आस है।
शांत चित्त सौम्य लगे,
जग सारा अब जगे,
तिमिर न अब ठगे, हो रहा उजास है।
खग सारे गान करे,
कलियाँ मुस्कान भरे,
दिनकर दोष हरे, वही एक खास है।
संग-संग जो भी चला,
मार्ग नहीं उसे छला,
जग का भी किया भला, खुद का विकास है।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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