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सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम-दिलीप कुमार गुप्त

Dilip gupta

सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम 

हे गुरुवर, हे दयानिधे!
आपके हैं अनंत उपकार
आत्मज्ञान की ज्योति जलाकर
सदज्ञान का पियूष पिलाकर
मानवता का किया उद्धार
सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम।

हे सद्गुरु, हे करूणावतार!
आपकी महिमा अपरम्पार
कुबुद्धि को सद्बुद्धि बनाकर
उर अंधियारा दूर भगाकर
संशय मिटा किया उद्धार
सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम।

हे आराध्य, हे दयानिधान!
लियाआपने प्रकृति का संज्ञान
मानवता भरी उतंग उड़ान
विकल मन पाया शुभ त्राण
डूबी नैया का किया बेड़ा पार
सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम।

हे सर्वेश्वर, हे परमेश्वर!
द्वेष दंभ दुर्भाव मिटाकर
लोभ मोह कुसंग छुड़ाकर
स्नेह सद्भाव का दीप जलाकर
उज्ज्वल भविष्य का किया निर्माण
सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम।

हे सद्गुरु, हे परमहंस स्वामी
तुम सा जग मे भला कौन स्नेही
आत्म परमात्म का मेल कराने
शब्द निःशब्दम् भेद सुझाने
गुरुवर आये तुम धरा धाम
सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम।

दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी
अररिया

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