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सावन में झूला-मधु कुमारी

Madhu

 

सावन में झूला

आओ बच्चों मिलकर खेलें
सावन में हम झूला झूलें
खूब करें मस्ती-आनन्द
मजे बचपन के अनूठे ले लें
सावन में हम झूला झूलें।

बरखा भी आई काली बदरी संग
लेने सुंदर सावन का आंनद
हर पग में हम कर कोशिश
एक नया आसमान छू लें
सावन में हम झूला झूलें।

देखो मयूरा भी झूम उठा
पंख फैलाकर बरखा संग,
चातक भी गा रही वन में
सावन में हम झूला झूलें।

लदे हैं फूलों से नाजुक डाली
कोयल कुहू-कुहू करती
नाच रही झूमे-मतवाली
रंग बिरंगे फूलों से बनाया है
प्रकृति ने देखो नायाब झूला
मन से भेद-भाव निकालें
सावन में हम झूला झूलें।

मधु कुमारी
कटिहार

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