शिक्षक हूँ मैं
अनगढ़ माटी को मैं आकार दूँ,
बिगड़ी को सदा ही सँवार दूँ,
वर्ण,अक्षर ,शब्द से परिचय करा
वाक्य का मैं सदा विस्तार दूँ।
शिक्षक हूँ शिक्षा का अलख जगाऊँ,
सही गलत का फर्क सदा समझाऊँ,
हर मुश्किल का हल खोजूं मैं
हर समस्या का मैं निदान कराऊँ।
इतिहास की बातें मैं बताऊँ,
विज्ञान के खोज मैं ही दिखाऊँ,
नियम,कानून का ज्ञान कराकर,
जीवन सरल मैं ही बनाऊँ।
शिक्षक हूँ हर क्षेत्र से परिचय करा,
सारी अनभिज्ञता दूर कर जाऊँ।
जीवन जीने का गुर बताकर,
जीवन के लिए आदर्श स्थापित कर जाऊं।
रूचिका
प्रधान शिक्षक
राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुरमौली गुठनी सिवान
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