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सुर्योदय-नीभा सिंह

सूर्योदय

आज कल सुबह उठते ही कोई भागम भाग का तनाव नहीं,
फूलों संग, घर संग, सभी स्थानों में एक सम्मोहन सा जगा है।
ना जाने यह कैसा सूर्योदय हुआ है?

न कोलाहल है, न प्रदूषण है,
पहली बार स्वच्छ वायु एवं ऑक्सीजन का अनुभव हुआ है।
ना जाने यह कैसा सूर्योदय हुआ है?

न काम की चिंता, न किसी उद्योग का,
टाटा बिरला का भी दिमाग खुला है।
ना जाने यह कैसा सूर्योदय हुआ है?

सभी स्थिर हैं, घरों में बंद है,
दूरियां बढ़ी है पर दिल जुड़ा है।
ना जाने यह कैसा सूर्योदय हुआ है?

कैसा समय, कैसी सदी,
थम सी गई जीवन नदी।
पहले कभी ऐसा एहसास हुआ नहीं है।

ना जाने कैसा सूर्योदय हुआ है?

न रेलेंं, न ठेले, रिक्शे, न मेले
एक सूक्ष्म वाइरस ने संपूर्ण विश्व को सबक सिखाया है।
ना जाने कैसा सूर्योदय हुआ है?

नीभा सिंह,
फारबिसगंज, अररिया

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