मैं कैसे हार मान लूँ- गीत (अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर )
आओ नयी पहचान लूँ
मैं कैसे हार मान लूँ।
शिक्षक का कर्म लिया हूॅं
शिक्षा का धर्म लिया हूॅं
आओ नयी परिधान लूँ।
मैं कैसे हार मान लूँ।।०१।।
दीपक हमें जलाना है
नया सवेरा लाना है
सभी का हर अज्ञान लूँ।
मैं कैसे हार मान लूँ।।०२।।
सुमन बनाना है सबको
पथ दिखलाना है सबको
राहों का हर विरान लूँ।
मैं कैसे हार मान लूँ।।०३।।
कांटों को सुमन बनाना
शिखर सभी को पहुँचाना
सबका विध्न संधान लूँ।
मैं कैसे हार मान लूँ।।०४।।
सपने साकार करे हम
नित नव आकार गढ़ें हम
कुछ अनकही भी जान लूँ।
मैं कैसे हार मान लूँ।।०५।।
बीज चेतना का बोए
रहे नहीं कोई सोए
राष्ट्र-हित को शुभ मान लूँ।
मैं कैसे हार मान लूँ।।०६।।
सबको हो यहाँ महारत
बने विश्व गुरु फिर भारत
इतना सदा अरमान लूँ।
मैं कैसे हार मान लूँ।।०७।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

