द्विगुणित सुंदरी छंद
आओं दीप जलाएं, सबको राह दिखाएं।
सच करना सपनों को, आओं हम सिखलाएं।।
देखो अनपढ़ कोई, भूल से बच न जाए,
अक्षर की भाषा का, जीवन राग सुनाएं।
हों नन्हें-मुन्हें बच्चे, या घर की महिलाएं,
काम करें जो बच्चे, या युवती बालाएं।
शिक्षा की महिमा को, आओं हम बतलाएं,
घर-घर में समझाएं, ऐसी अलख जगाएं।।
आओं दीप जलाएं, सबको राह दिखाएं।
सच करना सपनों को, आओं हम सिखलाएं।।
अनपढ़ जीवन होता, गहे हुए बाधाएं,
उसको शिक्षा से ही, कंचन हम कर पाएं।
ग़म जो भी हों आते, लड़ना यही सिखाएं,
मुश्किल हों हालातें, उबरना भी बताएँ।
आगे बढ़ते जाना, राहें नई बनाएँ,
हार गई भी बाज़ी, जितना यही सिखाए।
इससे तिमिर घनेरी, पल में ही छँट जाए,
दुर्दिन के पल बीतें, सुखमय पल झट आएं।।
आओं दीप जलाएं, सबको राह दिखाएं।
सच करना सपनों को, आओं हम सिखलाएं।।
तरसती जो निगाहें, हासिल कर दिखलाएं,
शिक्षा-पुष्प खिलाएं, मन-उपवन बन जाए।
सारे भेद मिटाएं, समता भाव जगाएं,
भू पर चलना छोड़ो, फलक यही बैठाएं।
खुद भी शिक्षा पाएं, औरों को बतलाएं,
जड़ता भाव मिटाएं, बोध-व्यवहार कराएं।
सच कहता हूँ यारो, शिक्षा जो भी पाए,
सब पाठक के आगे, अपना शीश झुकाए।।
आओं दीप जलाएं, सबको राह दिखाएं।
सच करना सपनों को, आओं हम सिखलाएं।।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय, भेड़हरिया इंग्लिश, पालीगंज, पटना
संपर्क — 9835232978

