अपने मन को अवध बनाई
सियाराम को हिय बसाई।
रोशन घर का कोना कोना
ऐसी दीपावली मनाई।।
घर आंगन की हुई-सफाई
दीवारों की रंग पुताई।
मन में मैल नहीं रह जाए
इसकी मैंने जुगत लगाई।।
दूर हुआ मन से अंधियारा
आज रोशनी पर्व मनाई।
रोशन घर का कोना कोना
ऐसी दीपावली मनाई।।
चहुंओर आज दीप जले हैं
लगते कितने सभी भले हैं।
भूल सभी मन की कड़वाहट
आपस में सब गले मिले हैं।
सपने लेते हैं अंगड़ाई
खुशियों वाली रात आई।
रोशन है घर का हर कोना
कैसी दीपावली मनाई।।
रात लगे जस रजत सवेरा
नहीं टिकेगा आज अंधेरा।
धुले हुए से हैं घर आंगन
आंखों में सूरज का डेरा।।
ऐसा लगता है धरती पर
सितारों की बारात आई।
बहुत दिनों के बाद जगत में
ऐसी दीपावली मनाई।।
स्वरचित/मौलिक रचना
मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव जिला-बक्सर,बिहार
0 Likes