गुरु पग गहकर- सुपवित्रा छंद वार्णिक
हम-सब हरपल, सफल यहाँ हैं।
सबल प्रबल बन, मगन जहाँ हैं।।
सरस सहज सब, गजब कहाँ है।
हितकर गुरु जब, सजग वहाँ है।।
पथ पर चलकर, सब-कुछ पाता।
कदम कदम पर, अड़चन आता।।
अगर मगर कर, मन घबराता।
सिर पर कर रख, गुरु समझाता।।
गुरु पग गहकर, पथ पर जाता।
शुभ फल तब-तब, पल-पल आता।।
अमन रमण कर, मन चित भाता।
करम धरम धन, सब-कुछ लाता।।
गहन तिमिर हर, पथ दिखलाते।
सहज सुलभ पग, नभ लहराते।।
चरण सुमन रख, रज जब पाते।
सरल हृदय गुरु, गुण सिखलाते।।
दिवस दिवस पर, जब मिल आते।
गुढ़ बहुत सरल, तब बन जाते।।
नयन सजल कर, हृदय लगाते।
नमन चरण कर, यश हम पाते।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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