तू ही जग के मालिक
तू ही जग के नैया ,
तुम्हीं हो खेवैया ।
तुम्हीं जग के मालिक ,
तुम्हीं रास रचैया ।।
मेरे प्राण भी तुम्ही हो ,
शक्ति के तुम हो दाता ।
हर सृष्टि के नियामक ,
तू ही जग विधाता ।।
अपनी शरण में ले लो ,
सबकी आस भी तुम्ही हो ।
सबके नयनों की तू ज्योति ,
सबके पास भी तुम्ही हों।।
जहाँ तक दृष्टि जाए ,
सब सृष्टि है तुम्हारी ।
हमें तुम अपना लो ,
ऐसी विनती है हमारी ।।
जीवन दिए हो मालिक ,
तुम्हीं बचानेवाले ।
तेरा आस है हर इक पल ,
तुम्हीं जीवन चलानेवाले ।।
हम तुम्हारा नाम लेकर ,
खुशियों को हैं पाते ।
तुम्हारी मर्जी के बिना ,
कभी पत्ते न हिल पाते ।।
जीवन की गति तुम्हीं हों,
जानते जीवन के भेद सारे ।
तुम्हीं हो सबके मालिक ,
हो सबके तुम्हीं सहारे ।।
मिलती नहीं खुशी भी ,
बिन एक क्षण तुम्हारे ।
सब काम तुम्हीं हो करते ,
सुख के लिए हमारे ।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

