Site icon पद्यपंकज

नया साल- दीपा वर्मा

Deepa verma

नया साल है,
नई उमंगे, नई दिशाएँ।
नई आशाएँ,
मन में हिलोरें, मार रही है।
ख्वाब जो अधूरी रह गई,
मन की बात जो पूरी नहीं हुई है,
आगे पलको पर जो सपने बुने है,
ख्वाइशे बस कुछ गिने-चुने है।
खुद के साथ,
औरों को भी खुश रखना है।
सुख-दुख का स्वाद संग-संग चखना है।
नए रास्ते, नए दिन
हमारा इन्तजार कर रहे हैं।
आगे बढ़े हम,
हमें बेकरार कर रहे हैं।
नई मंजिलें छूने को ,
काफिला चल पड़ा है।
रास्ते कठिन हैं पर,
कारवाँ निकल पड़ा है।

दीपा वर्मा
रा.उ.म.वि मणिका
मुजफ्फरपुर।

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version