ऐसे हमारे पापा प्यारे
पापा पापा कितने प्यारे,
हम बच्चों के कितने न्यारे।
हमें समझाते कितने अच्छे,
बातें करते कितने सच्चे।
उनके बिना न लगता मन,
बिना उनके न खिलता तन।
उनके बिना घर लगता नहीं अच्छा,
बिना उनके घर लगता नहीं सच्चा।
पापा हम सबका दिल बहलाते,
हैं पापा से घर सज जाते।
ऐसे हमारे पापा प्यारे,
अन्य संबंधों से है अति न्यारे।
जब हम कुछ गलती कर जाते,
बड़े प्रेम से हमें समझाते।
मुश्किल में जब हम पड़ जाते,
बड़े प्यार से हमें उबारते।
वे जीवन के संगीत हमारे ,
हम सबको अति लगते प्यारे ।
वे जीवन के सुर ताल हमारे,
हमारे जीवन के अनमोल सितारे ।
गलत राह से हमें बचाते,
सही बात हमें रोज बताते।
जब पापा सुबह ऑफिस जाते,
घर आँगन सब सूनी हो जाते।
जब शाम को पापा घर आते हैं,
हम सबके लिए नई नई चीजें लाते हैं।
हम मगन हों उनमें खो जाते हैं,
हम सबके दिल खुश हो जाते हैं।
दादा- दादी के प्यारे हैं वे,
उनके राज दुलारे हैं वे।
दादा दादी के नित्य पैर दबाते,
इससे दादा-दादी खुश हो जाते।
वे अपने पापा का कहना सदा मानते,
उनका दिल खुश रखना वे खूब जानते।
हम भी पापा की बातों को कभी न काटेंगे,
उनकी हर बातों को सदा सदा ही मानेंगे।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर