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स्लेट है तेरा भविष्य – रामपाल सिंह ‘अनजान’

यह स्लेट है तेरा भविष्य,

तेरे संग है किसी का असीस।

लग रहा है तुम अबोध नहीं,

उन रेखाओं का तुझे बोध नहीं।

एक गतिविधि में है तुम लीन,

तुझ में ऊर्जा है अंतहीन।

तेरे आसपास कोई है क्या?

तुम निज भविष्य में है खोया।

डोर लगन की तुम हो पकड़े,

देखा कभी नहीं करते झगड़े।

सब शोर मचाते हैं बच्चे,

पर तुमसे नहीं कोई अच्छे।

जब राह सही पकड़ाता है,

पर्वत छोटा बन जाता है।

है तो नहीं मेरा बालक,

मैं हूॅं नहीं तेरा चालक।

फिर भी तुझसे मैं प्यार करूॅं,

चर्चा तेरी सौ बार करूॅं‌।

तुम भूल गया होगा मुझको,

कभी भूलूॅंगा क्या मैं तुझको।

तुम छोड़ अचानक भाग गया,

असह्य दर्द से दाग गया।

क्या आशा रखूॅं, आएगा,

या जीवन भर तड़पाएगा।

रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दरवेभदौर

ग्राम+ पोस्ट+ थाना- भदौर, पंडारक, पटना

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