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मेरी बेटियां -डॉ स्नेहलता द्विवेदी

Snehlata

मेरी बेटियां!
मेरी प्रतिरूप,
मैं बसती हूं उनमें,
अंतस्त बिल्कुल अंदर,
आद्यो पांत सर्वांग,
प्राण वायु की तरह।

मेरी बेटियां!
मुस्कुराहटों में,
आशाओं में,
बातों में,
आख्यानों में,
संवाद में,
सहेली की तरह।

मेरी बेटियां!
नाराजगी में ,
मनाने की आशा,
प्रेम में,
अनुभूति का अहसास,
रुदन में,
मखमली अहसास की तरह।

मेरी बेटियां!
संघर्ष में ,
विजय को प्रयाण,
जीवन पथ पर,
संस्कार का साथ,
त्योहारों में,
संस्कृति के अहसास की तरह।

मेरी बेटियां!
संबंध में,
ओज और विश्वास,
परिवार में,
साथ और संवाद,
जीवन में,
परस्पर सम्मान,
माधुर्य शहद अहसास की तरह।

मेरी बेटियां!
चहकती बुलबुल,
पूर्णता का अहसास कराती,
मानव जीवन की रक्षा को समर्पित,
जीवन मूल्यों को संवर्धित करतीं,
संवेदनाओं के प्रहरी की तरह!

डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार

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