मेरी तन्हाई – मनु रमण चेतना

Manu Raman Chetna

रोजमर्रा की जिन्दगी में
भागदौड़, परेशानी,थकावटें
तनाव और बहुत सारी उलझनें
इन उलझनों में सिमटकर रह जाती है जिंदगी पर
जब कभी तन्हाई में बैठती हूं
बहुत सुकून देता है
जैसे कि मैं तेरी आगोश में हूं
शीतल मस्त पवन
जब मेरी जुल्फों को उड़ाते हैं
तब तुम्हारे मौजूद होने का अहसास होता है
जैसे तुमने आकर हौले से कहा हो
मैं यहां हूं तुम्हारे पास,
तुम्हारे साथ,हर पल ,हर क्षण,हर घड़ी,
तुम्हारे चमकते इन आंखों में
मुस्कुराहटों में
धड़कते दिलों में
तुम्हारी सांसों में
तुम्हारे रोम रोम में
तुम अकेली नहीं हो
इन अहसासों के साथ
सारी थकावटें, परेशानियां और
उलझनें स्वयं समाप्त हो जाती है
इसलिए तो मुझे भाती है
मेरी तन्हाई।
जो मुझमें फिर से
एक नवीन चेतना भरकर
नये हौसले जीवन में भरकर
नये उत्साह जगाकर
कर्त्तव्य पथ पर डटे रहने एवं
कर्मरत होने की प्रेरणा भरती है
मेरी तन्हाई यह अहसास कराती है
कि मुझमें तुम हो
इसलिए जीवन के पथरीले राह भी आसान हैं
मेरे कदमों के नीचे आसमान हैं
मेरे होंठों पर सजे यह मुस्कान हैं
इसलिए मुझे भाती है
मेरी तन्हाई।
क्योंकि यह तुम्हारे आने के
सुखद इंतजार का
अवसर देती है ..
एक खूबसूरत एहसास का जिसमें
मन मयूर खुशी से
नाच उठता है
तुमसे मिलने को
तुम्हें जी भरकर देखने को
तुम्हें बेइंतहा चाहने को
इसलिए मुझे भाती है
मेरी तन्हाई।

स्वरचित:-
मनु रमण चेतना

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