Site icon पद्यपंकज

क्यूँ हम भूल जाते हैं-भोला प्रसाद शर्मा

Bhola

जब हम माँ के गर्भ में होते हैं
मुझे बहुत सुखों की अनुभूति होती है
कुछ ही दिनों में हमें अपने खून
पसीने से सीच कर बड़ा कर दिया जाता है
गर्भ में भी मैं बड़े-बड़े वादे करता हूँ
मुझे बाहर जाना है यह मेरी दुनिया नहीं है
फिर वही हाल अपने ही दुनिया में मग्न
शैश्वा काल मस्त से गुजर जाता है
तब होंश ही नहीं रहता कि मेरे लिए
किसने कितना दर्द सहा होगा

क्यूँ हम भूल जाते हैं—-
जब हम रातों की नींद चुरा जाते हैं
कितने घंटे यूँ खड़े पाँवों पर बिताया होगा
क्या विस्तर सूखी या गीली
क्या वारिस रात अँधियारा
बेखौफ़ सुनसान राह कभी रात के दो बजे
उन चिकित्सकों के गलियारे में घूमा होगा
कितने दिन गीले कपड़ों पर खुद सो
मुझे सीने से लगा सुलाया होगा
खुद रह भूखे मुझे न जाने
कितने दिन पेट भर खिलाया होगा

क्यूँ हम भूल जाते हैं—-
जब हाथ पकड़ कर चलना यूँ
खुद बच्चा बन घोड़ी पर बिठाना
पहला शब्द माँ का बोलना
उठना चलना गिरना फिर से चलना
न जाने कितने बार बँध बालों को
मेरे लिए बिखराया होगा
कभी तो मेरी थोड़ी सी क्रंदन को
बोझ पहाड़ सा झुकाया होगा
मुँह में लिए हजारों शब्द
अनकहे शब्द का
भी लोरी सुनाया होगा

क्यूँ हम भूल जाते हैं—-
वह पढ़ना-लिखना नटखटपन
तोड़ आईना गली-मोहल्ले काँच को
कितनी सौगात मेरी ही अनसुनी
सिफारिस लिए जोड़ हाथ मनाया होगा
कभी लार-प्यार की मान गलतियाँ
कभी डंडे दिखा मुझे भी डराया होगा
पापा की बातें भी खट्टी-मीठी
कितनी सुबह-शाम सुनाया होगा
अनकहे बातों पर कर अनबन भी
कितने रात आँसू बहाया होगा

क्यूँ हम भूल जाते हैं—-
वह जोश जवानी का खुदपर
कर नाज़ यूँ इठलाते हैं
वह बदसलूकी की रवानी
अपने मन मौजी की कहानी
बना फ़ँस परिंदों की तरह
बेवस जोड़ लगा भी उभर नहीं पाते हैं
वहाँ भी पिता की गरिमा कुचल
ममता की धज्जियाँ उड़ाने में कसर
कहाँ हम छोड़ जाते हैं
फिर भी मासूम की भीख माँग जिन्दगी
अपने दाव की पगड़ी उछाल आते हैं

क्यूँ हम भूल जाते हैं—-
वह लड़कपन प्यार की चार बातें
दो दिनों की संगत उम्र ठान लेते है
न कद्र बीते प्यार के न कद्र
बचपन के चहेते यार के
बना जोड़ी हमसफ़र का चल
नवजीवन उड़ान भरने पे आतुर
बाप की न सिफारिस न माँ की गुजारिस
चरण की तो आदत ही नहीं छूने को
खुद मुकद्दर लिखाने चले साँवरे
घर तो वीरान कर डाला
खुद भी आसियाना न सम्भाला


-<strong>भोला प्रसाद शर्मा

डगरूआ,पूर्णिया (बिहार)

Spread the love
Exit mobile version