मेरी अभिलाषा-प्रीति कुमारी

मेरी अभिलाषा 

माँ मुझे भी पढ़ना है,
हाँ मुझे भी पढ़ना है। 
सुबह सवेरे जल्दी उठकर,
नित्य क्रिया से निवृत्त होकर,
मुझे भी स्कूल जाना है,
माँ मुझे भी पढ़ना है, 
हाँ मुझे भी पढ़ना है। 

घर के काम भी कर दूँगी मैं,
कर लूंगी गौ सेवा भी,
दादा-दादी की सेवा करके,
रखूँगी सबका मान भी। 
चुन्नू-मुन्नू राजू-सोनू,
सभी तो जाते हैं स्कूल,
पर मेरी जब बारी आती,
क्यूँ जाते हो तुम सब भूल। 
मेरी यह अभिलाषा है माँ,
पढ-लिखकर कुछ बनना है। 
माँ मुझे भी पढ़ना है,
हाँ मुझे भी पढ़ना है। 

घर-घर में उजियारा लाकर,
शिक्षा का दीप जलाना है। 
पढ-लिखकर आगे बढ़ना है,
देश का मान बढ़ाना है। 
हाँ आज हमें यह कहना है,
माँ हमें भी पढ़ना है,
हाँ हमें भी पढ़ना है। 
हम बेटी हैं, 
बेटी होने पर,
सबको गर्व कराना है। 
नहीं कभी पीछे मुड़ना है,
आगे बढते रहना है,
माँ हमें भी पढ़ना है,
हाँ हमें भी पढ़ना है। 
बेटियाँ कभी कमजोर नहीं होती,
यह सबको बतलाना है।
माँ हमे भी पढ़ना है, 
हाँ मुझे भी पढ़ना है। 

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ

विद्यापति नगर समस्तीपुर

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