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जनसंख्या-अश्मजा प्रियदर्शिनी

जनसंख्या

एक अरब सैतिश करोड़ की जनसंख्या वाला है हमारा नेशन
17.64 के दर से बढ रहा पोपूलेशन
दिन दूनी, रात चौगुनी विकट हो रहा सिचुएशन
वर्तमान दृश्य ऐसा है तो भविष्य का कीजिये इमेजिनेशन
कैसे करेंगे परिवार का पोषण, कैसे मिलेगा एजुकेशन
साधन विहिन कैसे होगा विकास, कैसे होगा कंस्ट्रक्शन?
जागरुक हों सोचें इस समस्या का सही सोल्यूशन
दूसरे देश में कोई नहीं आ बसता कैसा है भारत से अफेक्शन
घुसपैठिये षडयंत्र कर करते खराब आपस का रिलेशन
अभारतीयों को मिले भारत से वेकेशन
सरकारी तंत्र का भी सही हो एक्शन
हमें करना होगा भारत की जनगणना का ऑपरेशन
धूल-धुआँ, ध्वनि, प्रक्षेपास्त्र से है पोल्यूशन
पृथ्वी पर बढती जनसंख्या है जटिल क्वेश्चन
सुरसामुखी जनगणना का विश्व मे है काँशन
आँकड़ों का अत्यंत सोचनीय है पोजिशन
प्रकृति के हस्तक्षेप से पहले सोचना हैं सोल्यूशन
प्रकृति स्वयं कर रही भयावहता का करेक्शन
बाढ, सूखा, भूकंप, महामारी का हो रहा डायरेक्शन
दन्त कथा, परी कथा न हो जनसंख्या का फिक्शन
“छोटा परिवार सुखी परिवार” है सही ऑप्शन
“हम दो हमारे दो” का हो निश्चित एम्बीशन
चेतो वरणा कागजी रह जाएगा सब ट्राॅन्सलेशन
एडिशन होगा कर्ज का जीवन का होगा सब्सट्रेक्शन
क्या यही है भारत वर्ष के विकास का एम्बिशन?
समस्या का सब मिल सोचे सटीक सोल्यूशन
वरणा विचित्र है मनाना जनसंख्या का ऑर्गेनाइजेशन

अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना, बिहार

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