Site icon पद्यपंकज

हुई उत्पत्ति है हिंदी की – गीत – राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

हिंदी - किशोर छंद

हुई उत्पत्ति है हिंदी की – गीत

शौरसेनी अपभ्रंश जिसे, अपनी तनुजा माने।
हुई उत्पत्ति है हिंदी की, सुरवाणी से जाने।।

उत्तर भारत में जन्म हुआ, जानी दुनिया सारी।
भाषाएँ इसने जने कई है, बनकर यह महतारी।।
माता जैसी ममता लेकर, चल दी धर्म निभाने।
हुई उत्पत्ति है हिंदी की, सुरवाणी से जाने।।०१।।

भारत के कोने-कोने में, डाले अपना डेरा।
लगा रही है दुनिया की भी, बड़े गर्व से फेरा।।
स्थान दूसरा सकल विश्व में, बोली सीना ताने।
हुई उत्पत्ति है हिंदी की, सुरवाणी से जाने।।०२।।

जन-मानस में प्रेम धार का, भाव जगाने वाली।
सही सोच को सही दिशा में, लेकर जाने वाली।।
हिंदी की गाथा को हरपल, “पाठक” लगता गाने।
हुई उत्पत्ति है हिंदी की, सुरवाणी से जाने।।०३।।

गीतकार – राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version