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प्रकाश पर्व दीपावली-रीना कुमारी

प्रकाश पर्व दीपावली

दीपावली का पर्व है आया,
प्रकाश पर्व है यह क्रहलाया।
दीया-बाती का साथ समाया,
सबने दीपक घर में जलाया।
आँगन दरबाजे को सजाया।
दीपावली का पर्व———-

झिलमिल से सजे है बाजार,
और सजी है घर आँगन द्वार।
लटक रहे झिलमिल दीवार,
खूब लटक रहे फूलों के हार।
देखो आ गई आँगन में बहार।
दीपावली का पर्व ————-

बच्चे बुढ़े सब खुश है आज,
खूब पटाखे छोड़ेंगे हम आज।
महिलाओं को बहुत है काज,
सबने बनाये केंडिल साज।
तिलक लगाये है सबने आज।
दीपावली का पर्व———–

बच्चे खुश है खाके मिठाई,
मेहमान खुश है लाके मिठाई।
माँ खुश है देवी चढ़ाके मिठाई
पिता खुश है बाँट के मिठाई।
दीपावली का पर्व———–

लक्ष्मी, काली की पूजा आज,
स्वागत करें देवियों का आज।
इससे बढ़कर नहीं कोई काज,
मन में द्वेष न रखे हम आज।
सबसे गले मिले हम आज।
दीपावली का पर्व———

रीना कुमारी 
प्रा० वि० सिमलवाड़ी पशिचम टोला
पूर्णियाँ बिहार

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