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शराब कभी न पिएंगे – बिंदु अग्रवाल

बिंदु अग्रवाल

बिंदु अग्रवाल

शराब कभी न पिएंगे

 

आज अचानक मन में एक खयाल आया..

गम को कम कैसे करें यह सवाल आया..

 

सोचा चलो हम भी पीकर झूमते है,

यूँ शराब में अपनी खुशी ढूंढते हैं।

 

सुना है यह सारे गम की दवा है

चिलचिलाती धूप में यह शीतल हवा है।

 

बड़ी शिद्दत से हमने, अपने अंदर के डर को भगाया

रफ्ता- रफ्ता फिर कदम मयखाने की ओर बढ़ाया।

 

अंदर का नजारा देखा तो सर चकराया,

क्या  करते नोसिखिया थे कुछ समझ न आया।

 

सब अपनी ही मास्ति में झूम रहे थे,

बोतल को होंठो से लगा चूम रहे थे।

 

हमने भी एक पैमाना बनाया,

पर उसका स्वाद कुछ खास पसन्द न आया।

 

खैर पीने के बाद कदम घर की ओर बढ़ाया

पर रास्ता किधर गया नशे में कुछ समझ न आया।

 

अचानक किसी चीज से जोर से टकराया,

जब होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया।

 

बदन पे जगह-जगह जख्मों ने अपना घर बनाया

गम कम करने निकले थे, पर दर्द को हमने और बढ़ाया।

 

हम लाचार, बच्चे बेबस, घर वाले परेशान थे,

क्यों ना होते, आखिर हम तो सबकी “जान” थे।

 

शराब इंसान को इंसान नही रहने देती हैवान बना देती है,

अच्छों-अच्छों की यह पहचान मिटा देती है।

 

शराब के कारण कई हस्तियाँ, नेस्तोनाबूद हो गई,

धूमिल हो गई मान प्रतिष्ठा, सारी खुशियाँ खो गई।

 

ली प्रतिज्ञा अबसे हमने, शराब कभी ना पियेंगे,

मानव जनम मिला मुश्किल से मानव बनकर जियेंगे।

 

बिंदु अग्रवाल

शिक्षिका

मध्य विद्यालय गलगलिया

किशनगंज बिहार

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