देखो आया शुभद, आज कई संयोग।
रजनी लगती नवल, चकवा का हठयोग।।
पूनम सुंदर धवल, लेकर आयी रूप।
आज पूर्णिमा शरद, अंबर लगे अनूप।।
सोम देव से किरण, छिटक रही चहुँओर।
करती हैं मन हरण, चित में उठे हिलोर।।
मध्य रात्रि का प्रहर, लिया अलौकिक रूप।
प्रेम जगे हर हृदय, ऐसा सोम अनूप।।
मध्यम शीतल पवन, पुलकित करता रोम।
रजनी गंधा सुमन, करे सुवासित व्योम।।
लक्ष्मी पूजन नमन, करती है सब नार।
मनोकामना सहज, पूर्ण करे सिर धार।।
औषध वर्षा गगन, करती है इस रात।
शरद पूर्णिमा भुवन, हितकर है विख्यात।।
सोम अंशु से सहज, खीर क्षीर हो तुष्ट।
करते जिसको ग्रहण, तन होता है पुष्ट।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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