आओ मन का अंधकार मिटाए,
प्रेम भाव का एक दीप जलाएं।
कद्र करें सबकी भावनाओं का,
वैर और आपसी रंजिश मिटाए।
आओ मन का अंधकार मिटाए,
प्रेम भाव का एक दीप जलाएं।।
मन के कालेपन का करके त्याग,
शुद्ध विचारों को जगा आज।
जन-जन को फिर होगा नाज़,
पंखबिन तू लगाएगा परवाज़।
ऐसा हम कुछ कर दिखाए,
आओ मन का अंधकार मिटाए।
प्रेम भाव का एक दीप जलाएं।।
तम पर प्रकाश का हो विजय,
निर्भीक हो सब रहे अभय।
धर्म की हो हर तरफ जय-जय
अधर्म नष्ट हो,तिमिर हो क्षय।।
भूले-भटके को राह दिखाए,
आओ मन का अंधकार मिटाए,
प्रेम भाव का एक दीप जलाएं।।
स्वरचित मौलिक रचना
संजय कुमार (अध्यापक )
इंटरस्तरीय गणपत सिंह उच्च विद्यालय, कहलगाँव
भागलपुर ( बिहार )
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