आजादी हमने है पाई – प्रदीप छंद गीत
भारत की धरती शोणित कर, तन-मन लहूलुहान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।
हाल बुरा था अपना हरपल, हम-सब यहाँ गुलाम थें।
अंग्रेजी सत्ता के आगे, सपने सभी निलाम थें।।
कैद पड़ी सोने की चिड़ियाँ, वंचित रही उड़ान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।०१।।
तन-मन-धन सब वार दिए थें, चहके नयी उमंग में।
जय हिन्द सभी के नारे थें, रंगें केसर रंग में।।
गली-गली फिर शोर हुआ था, बच्चे बुढ़े जवान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।०२।।
ब्रिटिश हुकूमत को दहलाने, निकले सीना तान के।
वीर बाँकुरे निकल पड़े थे, रूप लिए तूफान के।।
था स्वराज का नारा गूँजा, महिला पुरुष जुबान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।०३।।
भारत माँ की बेड़ी तोड़ी, टकराकर चट्टान से।
तोपों का मुँह मोड़ दिया था, फौलादी अरमान से।।
भगत, आजाद, सुभाष जैसे, प्राण गंवाए शान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।०४।।
नया गया इतिहास रचा तब, भारत देश विशाल में।
पंद्रह अगस्त पावन आया, मान मिला हर साल में।।
अंग्रेजों की टोली झट-पट, भागी हिंदुस्तान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।०५।।
अपनों का है शासन हमपर, कहलाए स्वाधीन है।
फिर भी हालत ऐसी अपनी, लगता हम आधीन है।।
टकराना अब होगा हमको, स्वार्थी कुछ शैतान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।०६।।
शान तिरंगा का रखना है, मिलकर रहना साथ में।
भारत माता की जय बोलो, दे हाथों को हाथ में।।
हृदय भेद को दूर करे हम, रहना है अभिमान से।
आजादी हमने है पाई, अपनों के बलिदान से।।०७।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

