जीवित्पुत्रिका व्रत
माता निर्जल व्रत करे, सुखी रहे संतान।
महाकाल को पूजती, जो लेते संज्ञान।।
एक दिवस उपवास का, कोटि विधि स्वीकार।
सुखमय मेरा लाल हो, करती सदा विचार।।
भाँति-भाँति के अन्न से, पूजन विविध प्रकार।
सब देवों से कर रही, तरह-तरह मनुहार।।
विपदा सुत को हो नहीं, रखकर इसका ध्यान।
माँ ईश्वर को पूज रही, रख लेना प्रभु मान।।
ममता माता की सदा, बदल रही है भाल।
व्रत प्रभाव इसका यही, बनता सुत का ढाल।।
जीवित्पुत्रिका व्रत का, ऐसा पुण्य प्रताप।
माता के आशीष से, कट जाती हर श्राप।।
जीमूतवाहन सुधि लें, पुत्र रहे नीरोग।
माता की यह कामना, मिले काल को सोग।।
कृष्ण पक्ष की अष्टमी, आश्विन का उपवास।
व्रत का प्रभाव है यही, सुखमय पुत्र प्रयास।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

