जो भाषा माँ से सीखी जाती,
जग में सबका मान बढ़ाती,
एकता का प्रतीक बन जाती,
उसकी गाथा जन-जन को बतलाएँगे,
उस हिंदी का मान बढ़ाएँगे।
हिंदी की बिंदी जिसके भाल,
प्रकृति भी बिना पूछें, न चलती चाल,
संस्कृति की जिससे होती पहचान,
उसकी गाथा जन-जन को बतलाएँगे,
उस हिंदी का मान बढ़ाएँगे।।
हिंदी ही है सुर संगीत और तान,
इसीलिए मेरा देश कहलाता महान,
सरल सौम्य स्वभाव है जिनका,
उसकी गाथा जन-जन को बतलाएँगे,
उस हिंदी का मान बढ़ाएँगे।।
जो है देश की आन- बान और शान,
जिससे बढ़ता है देश का मान,
जिस भाषा पर हम सभी को है नाज,
उसकी गाथा जन-जन को बतलाएँगे,
उस हिंदी का मान बढ़ाएँगे।।
अक्षर से अक्षर का ज्ञान कराती,
उच्चारण में जिसके स्पष्टता है होती,
जो प्रभावमयी और गतिशील है होती,
उसकी गाथा जन-जन को बतलाएँगे,
उस हिंदी का मान बढ़ाएँगे।।
हिंदी हिंदुस्तान की पहचान है,
इस हिंदी के बिना जीवन वीरान है,
जिससे ही मिला जग में सम्मान है,
उसे नित फूलों से महकाएँगे।
उस हिंदी का मान बढ़ाएँगे।।
विवेक कुमार
भोला सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय
पुरुषोत्तमपुर, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर