Site icon पद्यपंकज

मेरी प्यारी हिंदी – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

Dr. Anupama                         

मेरी प्यारी हिंदी

 

“हिंद” देश के वासी हैं हम
हिंदी हम सब की बोली है,
“माँ” जैसी ही प्यारी हिंदी
“माँ” की तरह ही भोली है।।

पूज्य है जितनी जन्मभूमि
उतनी ही प्यारी भाषा है,
सारे जग में तेरा शान बढ़े
हम सबकी यह अभिलाषा है।।

है बहुतेरे भाषा जग में
पर इतनी मीठी कहीं नहीं,
“माँ” का दर्जा मिला इसे
कहीं किसी को मिली नहीं।।

सबसे पहले माँ को देखा
पहला शब्द तो “माँ” ही था,
कितनी क्षमता  है हिंदी तुझमें
गद-गद  होती माँ की ममता।।

अनगिनत इस देश की बोली
पर तू सबसे न्यारी है,
सर्वश्रेष्ठ मेरी मातृ-भूमि,
और श्रेष्ठ लिपि “देवनागरी” है।।

हे “हिंद” नमन तुझको मेरा
नमन है तेरी “भाषा” को,
“तू” गर्व है सारे धरती का
तू समझ मेरी जिज्ञासा को।।

“जिगर” है देश तो “जुबान” है हिंदी,
जन-जन की पहचान है हिंदी
शब्दों का सोपान है हिंदी।
भारत  का अभिमान है हिंदी।।

स्वरचित एवं मौलिक
डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा 🙏🙏
मुजफ्फरपुर, बिहार

Spread the love
Exit mobile version