ज़िन्दगी छोटी-सी ज़िन्दगी को यूँ न गवाँना है। इसे नित नई खुशियों से सजाना है।। ज़िन्दगी में आएँगे कभी खुशी तो कभी ग़म डटना है सामने पर नहीं इससे घबराना…
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वीर सपूत-देव कांत मिश्र दिव्य
वीर सपूत मातृ भूमि का सच्चा सेवक वीर सपूत कहलाता। पर्वत, नदियांँ व देख समन्दर कभी नहीं घबराता।। जब तक मंजिल हाथ न आये आगे ही बढ़ता जाता। शाम सबेरे…
सच्चा मित्र-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
सच्चा मित्र कौन है वो सच्चा मित्र इसे आज मैं सबको बताऊँ। अपने अन्तर्मन के भाव को सच्चे मन से खूब सजाऊँ।। सच्चा मित्र है वो जो एक दूजे का…
मानव जीवन-देव कांत मिश्र
मानव जीवन मानव जीवन बड़ा धन्य है इसे हम बताते चलें। अपने सत्कर्मों से नित इसे हम सजाते चलें।। देखो! बड़े भाग से मिला यह सुन्दर मानुष तन। अपने शुभ…