योग-अर्चना गुप्ता

योग आओ तन-मन को निरोग करें सब मिलकर चलो योग करें जप, तप और योग-ध्यान हर लेती हर विपदा-बाधाएँ आत्मविश्वास, यादाश्त बढ़ाकर नित अमृत बूँद बरसाती जाए स्नेहसिक्त हो आत्मिक…

खामोशी अतीव वाचाल- अर्चना गुप्ता

  खामोशी अतीव वाचाल देख अवनि की गमगीन -सी सूरत खामोशी आज हुई अतीव वाचाल धुआँ- धुआँ सी है बनी जिन्दगी जाने किस घड़ी हो किसका काल भयाक्रांत मनुज क्षण-क्षण…

शब्द पुष्पांजलि-अर्चना गुप्ता

शब्द पुष्पांजलि  हे साहित्य विभा के किरीट विशाल ! अंतस्तल समाहित जाग्रत भाव ज्वाल, है रस-छंद-ताल की प्रवाहित निर्झरणी भाव विशुद्ध अंतस, ज्यों नवल प्रवाल..। हे परमात्म ब्रह्म के अंश…

अविरत बढ़े सदा ही जीवन में-अर्चना गुप्ता

अविरत बढ़े सदा ही जीवन में अविरत बढ़े सदा ही जीवन में, क्या पाया आज विचार करें। अंतस के दिव्य प्रकाशपुंज से, आलोकित जग-संसार करें। जो शुष्कता फैली उर अंतस…

दृढ़ संकल्प-अर्चना गुप्ता

दृढ़ संकल्प  दृढ़ संकल्प करें हम मन से, हिन्दी का उत्थान करेंगे। हिन्दी है जनमानस की भाषा, हो सर्वोन्नति, अभियान करेंगे। है हिन्दी से हिन्दुस्तान हमारा, हृदय से इनका सम्मान…

नश्वर दुनियाँ-अर्चना गुप्ता

नश्वर दुनियाँ  कितनी नश्वर है प्रभु तेरी दुनियाँ फिर भी पल-पल द्वेष बढ़ आए स्वार्थपाश में बँधे हुए सब ही तो रह एक-दूजे संग सदा दंभ दिखाए कालचक्र की गति…

दिलों को दिलों से जोड़ें-अर्चना गुप्ता

दिलों को दिलों से जोड़ें दिलों से दिलों को जोड़े हम मीत गुनगुना लें मिल एक मधुर संगीत जीवन सरिता एक निधि अमूल्य एकदूजे संग सदा ही निभाएँ प्रीत अब…