मनहरण घनाक्षरी – कुमकुम कुमारी

मनहरण घनाक्षरी चले वसंती बयार, छाया सबपे खुमार, होकर हंस सवार, आई चन्द्रकांति माँ। छेड़ दी वीणा की तार, झंकृत हुआ संसार, छाई खुशियाँ अपार, आई चन्द्रकांति माँ। छटा घोर…