हमें उड़ने दो-ज्योति कुमारी

हमें उड़ने दो हमारे पंख हौसलों से हैं,  हमारी उड़ान क्षितिज तक, जहां ज़मीं और आसमां मिलते हैं। हम बच्चे बिहार के हमें नया इतिहास लिखने दो ना। नवाचार से…

हिन्दी-ज्योति कुमारी

हिन्दी हर विषय में कमजोर, हिन्दी बस मेरी है, विश्वास जितना स्वयं पर उतना ही हिन्दी पर, नहीं मैं विद्वान नहीं, ह्रस्व और दीर्धीकार गलत हो जाए शायद, साहित्य की…