माँ मुझको अब पढ़ना है-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

माँ मुझको अब पढ़ना है माँ मुझको अब पढ़ना है सबसे आगे बढ़ना है, देखा था जो तुमने सपना उसको पूरा करना है। अंतर करेगी दुनियाँ कैसे जैसा “बेटा” “बेटी”…

प्रकृति की छवि-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

प्रकृति की छवि बसाके अपनी आँखो में तेरी अदभुत छटा निहार रही मन उपवन बन पुकार उठी प्रकृति की देख शृंगार सखी। तेरे हृदय के गहरे सागर में हंसो का…

चाचा नेहरू-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

चाचा नेहरु हम बच्चों के थे एक “चाचा” जिनपर हमें अभिमान था, सच्चे सपूत थे वो भारत के जिनका “पंडित नेहरू” नाम था। थे वह कर्मठ और “युगद्रष्टा” भविष्य का…

एक दीया-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

एक दीया दुनियाँ ने कहा-तू है एक “दीया” तू ही बता तेरी “औकात” क्या? हँसता है तिमिर तुझे देखकर सामने “सूरज” के, तेरी बिसात क्या! जमाने के ताने को “दीये”…

राष्ट्रपिता-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

राष्ट्रपिता धन्य “धरा” हो तेरी धरती एक देश-भक्त ने जन्म लिया कलयुग के “करतार” हो जैसे माँ ने “मोहन” नाम दिया । राजकोट के राज दुलारे माता “पुतली बाई” थीं…

शान है हिंदी-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

शान है हिंदी मेरा देश “हिन्द” जुबान है हिंदी सारे वतन की शान है हिंदी शब्द-कोश की सबसे सुन्दर मातृभाषा का नाम है हिंदी । भाषा की लड़ियों में जैसी…

सुन गोरैया-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

सुन गोरैया  सुन “गोरैया”! तेरे जैसी मैं भी एक चिड़ियाँ होती जब जी करता उड़ते-उड़ते सैर जहान का कर आती । न रहता कोई टोका-टोकी न करता कोई रोका-रोकी फिक्र…