बाल मजदूर विरोध अपने बचपन को खोता कितना वह लाचार मलिन सी काया, दुर्बल छवि, जीर्ण-शीर्ण आकार अत्यंत आवश्यक प्यासे को पानी भूखे को आहार मांसाहार नहीं, उसे भोजन मिल…
SHARE WITH US
Share Your Story on
teachersofbihar@gmail.com
Recent Post
- सम्मान मिले अपार- एस.के.पूनम
- अग्निशमन – मनु कुमारी
- लाल रंग आग का- नीतू रानी
- पत्रकार पत्रकार पत्रकार पत्रकार- नीतू रानी
- मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
- मैं पत्रकार हूं – मनु कुमारी
- मजदूर दिवस – डॉ मनीष कुमार शशि
- दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
- विधा: कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य
- बचपन- Ayushi