दोहावली-देव कांत मिश्र

दोहावली फागुन भावन जब सरस, घुलते प्रेमिल रंग। पावन पूनम प्यार में, दिखती नई उमंग।। खेलें होली प्यार से, करें नहीं हुड़दंग। प्रेम भाव में है छुपी, अद्भुत नवल तरंग।।…