दहेज-निधि चौधरी

दहेज दहेज की अग्नि में जलते पिता की, सुनाने हूँ आई कहानी सिसकती। पिता बिटिया की हो गई है पक्की सगाई, कि लाखों में’ हमने खरीदी जमाई। थी खेती पुरानी…