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हिंदी: सुर वाणी की जाया- राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

हिंदी - किशोर छंद

हिंदी, सुर वाणी की जाया- किशोर छंद

सुर वाणी की जाया कहिए, हिंदी को।

भूल रहे सब क्यों है गहिए, हिंदी को।।

हृदय भाव में फिर से भरिए, हिंदी को।

भाषा है विज्ञानी पढ़िए, हिंदी को।।

 

आज अस्मिता बनी हमारी, हिंदी है।

रचनाओं की धनी हमारी, हिंदी है।।

खोई क्यों पहचान हमारी, हिंदी है।

जिससे हर अरमान हमारी, हिंदी है।।

 

शान हमारी हिन्दी प्यारी, भाषा है।

भारत की यह राज दुलारी, भाषा है।।

शब्द शक्ति है जिसकी न्यारी, भाषा है।

सरल गूढ़ सब रचना धारी, भाषा है।।

 

कायिक वाचिक समता इसकी, भाता है।

माता सी कोमलता इसकी, भाता है।।

भेदहीन हर नाता इसकी, भाता है।

“पाठक” गीत सुनाता इसकी, भाता है।।

 

 

रचयिता:- राम किशोर पाठक

प्रधान शिक्षक

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 9835232978

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