अंजन धारे सतत, कृष्ण कन्हाई नैन।
देख लिया जो अगर, कैसे पाए चैन।।
मूरत मनहर सुघर, मिले न कोई और।
बिना गिराए पलक, देखूँ करके गौर।।
श्याम सलोने सुघर, रखें सदा मुस्कान।
प्रेम मिले या विरह, ले बैठेगा जान।।
सोच रहा मैं मगन, बोल उठेंगे कृष्ण।
जीवन भर के सहज, कट जाएंगे तृष्ण।।
सन्मुख आए अगर, क्या कर पाऊँ बात।
जीवन होगा सुफल, दिन सा होगा रात।।
आओ कर लें नमन, बनवारी के पाद।
जिनके ही श्री चरण, रखना है बस याद।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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