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वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पेड़ लगा मां के नाम से,
होंगे जग में नाम।
उनके ही नेपथ्य में,
पाना चिर विश्राम।।
पाना चिर विश्राम,
जगत में स्वर्ग मिलेगा।
श्रम सुंदर तालाब के,
पंक में कमल खिलेगा।।
कहते हैं ‘अनजान’,
नहीं कोई खोज सगा।
सोया जग को छोड़,
अरे भाई!पेड़ लगा।।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारीप्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय दरवेभदौर

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