मेरी बेटियां -डॉ स्नेहलता द्विवेदी

मेरी बेटियां! मेरी प्रतिरूप, मैं बसती हूं उनमें, अंतस्त बिल्कुल अंदर, आद्यो पांत सर्वांग, प्राण वायु की तरह। मेरी बेटियां! मुस्कुराहटों में, आशाओं में, बातों में, आख्यानों में, संवाद में,…

राष्ट्र कवि दिनकर – मनु कुमारी

साहित्य सरोवर में, खिला अद्भुत कमल! रामधारी सिंह दिनकर। बेगुसराय के गांव सिमरिया, जहां बसे मनरूप देवी और रवि भैया, जिनके पुत्र हुए तेजस्वी दिनकर। मानवीय चेतना के उन्नायक, राष्ट्रीय…

कर्मयोगी – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता…

नव निर्माण – कुमकुम कुमारी

युग है यह निर्माण का, नूतन अनुसंधान का। हम भी कुछ योगदान करें, अपना चरित्र निर्माण करें। प्रकृति ने है हमें रचाया, निर्मल काया दे सजाया। इसका हम अभिमान करें,…