शिक्षा के ज्ञानदीप-सुरेश कुमार गौरव

Suresh kumar

Suresh kumar

शिक्षा के ज्ञानदीप 

आएं ! आज हम दृढ़ संकल्पित हो जाएं
अपने-अपने बच्चों को अवश्य ही पढ़ाएं
सब चल पड़ें, शिक्षा के ज्ञान दीप जलाएं
अपनी शिक्षा का ज्ञान जरुर बांट आएं।

साक्षरता दिवस का है यह जरुरी संदेश
निरक्षरता को दूर करने का है पूरा निदेश
बच्चों है न काम करवाएं
शिक्षालय में भेज अपना कर्त्तव्य निभाएं।

सब पढ़ें, सब बढ़ें यह दृढ़-प्रतिज्ञ इच्छा हो
शिक्षा है सर्वोपरि इसकी सदा समीक्षा हो
निरक्षर से साक्षर बन सब जन आगे बढ़ें
अपना-अपना सब आगे का जीवन गढ़ें।

ऐसे लोग जो हैं सदा असहाय
उन सबके लिए हम सब बने हरदम सहाय
करें उनको सतत् जागरुक और सदा प्रेरित
सिखाएं, शिक्षा है जरुरी करें अभिप्रेरित।

देश पूरी तरह निरक्षरता से हो मुक्त
साक्षर और फिर शिक्षित से हो जाएं युक्त
राष्ट्र और समाज के लिए बनें सदा साधक
सबको शिक्षा मिले अशिक्षा न बने बाधक।

पहले देनी है निरक्षर को साक्षरता का ज्ञान
न्युनतम अधिगम स्तर से तब बढ़ेगा ज्ञान
साक्षरता यानी पढ़ना-लिखना है यह बिषय
सम्मान, अवसर और विकास का है आशय।

निरक्षरता उन्नति में बड़ी बाधा है
अपने देश की प्रगति समझें तो आधा है
निरक्षरता उन्मूलन के कार्यक्रम अपनाएं
जिससे हम अपनी समस्या को मिटा जाएं।

जो भी आज तक स्कूल से जुड़ न पाएं
उन्हें शिक्षा के आंगन तक जरुर पहुंचाएं
चाहे जो बचपन की शिक्षा न पा सके हों
वयस्क-प्रौढ़-शिक्षा से भी अवश्य जुड़वाएं।

आएं ! आज हम दृढ़ संकल्पित हो जाएं
अपने-अपने बच्चों को अवश्य ही पढ़ाएं
सब चल पड़े, शिक्षा का ज्ञान दीप जलाएं
अपनी शिक्षा का ज्ञान जरुर बांट आएं।

@ सुरेश कुमार गौरव

पटना (बिहार)
स्वरचित मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित

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