शांति जिसके भाल वो बहादुर लाल- विवेक कुमार

Vivek kumar

Vivek kumar

शांति जिसके भाल वो बहादुर लाल

गांधी के संग जन्म ले
थामा था जिसने कमान,
मातृभूमि को पराधीनता की जंजीरों से
करने आया जो मुक्त महान।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

धीर, वीर, गंभीर, शांत, चित्त
मृदुभाषी जिसकी थी पहचान,
वो कोई और नहीं थे
लाल बहादुर शास्त्री था उनका नाम।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

जिन्होंने अपने कर्मों से
बनाया सादा जीवन समान,
कष्टों को बनाकर संगी
निज जीवन में न था अभिमान।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

ऐसे युग पुरुष की जग में
सब करते है सम्मान,
जिसका जग करता है
करता रहेगा गुणगान।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

सादा जीवन ऊंच विचार
भारत के थे आधार,
हल चला दिया था नारा
जय जवान जय किसान।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

राष्ट्र में छाए अमन और शांति
यही थे उनके अरमान,
छोटा कद ऊंचा लक्ष्य
हर मुश्किल में जो साथ खड़ा।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

अन्न संकट पर एक दिन का
जिसने देश में रख उपवास,
जन-जन को दिया था
सहयोग का विश्वास।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

मुसीबत से न मानी कभी हार
उसका करते रहा प्रतिकार,
ताशकंद समझौते ने छीन लिया
लालबहादुर की किमती जान।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

रग-रग में जिनके देशप्रेम ही
था बस एक काम,
ऐसे देश प्रेमी को जग करता
आज वंदन और सलाम।
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

बापू की गाथा संग
चलो करें उनका गुणगान,
हे धरती मां ऐसे लाल को
जन्म दो हर बार,
शांति जिनके भाल वो बहादुर लाल।

विवेक कुमार
(स्वरचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
गवसरा मुशहर, मड़वन

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