नशामुक्त हो जहां-कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

Kumkum

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नशामुक्त हो जहां

नशामुक्त होगा अगर इंसान,
करेगा सभ्य समाज का निर्माण।
देकर अपनी रचनात्मक योगदान,
कराएगा मानवता की पहचान।

नशा का मत कर तू पान,
संवार ले अपनी कीमती जान।
हे नर कर तू कर्म महान,
बनेगा तब यह सुंदर जहां।

नशे में नर बन जाता है शैतान,
रहती नहीं उसे खुद की पहचान।
इसलिए बात मेरी ले तू मान,
नशा करके मत बन तू हैवान।

नशा करता है बड़ा नुकसान,
हर लेता असमय ही प्राण।
इसलिए मन में अब ले तू ठान,
मदिरा का करेगा कभी न पान।

अगर हम हैं सच्चे इंसान,
मदिरा का कभी न करेंगे पान।
करके अपना चरित्र निर्माण,
करेंगे वसुधा का कल्याण।

कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
मुंगेर, बिहार

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