मानवी अभ्युदय के यथार्थ – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

समस्त विश्व मे सम्मुख यह काया ,
सदा -सदा अति न्यारी ।
प्रेयसी बन विचरण करती यह ,
कभी माँ की रूप अति प्यारी ।

बन भगिनी , सुता बन लक्ष्मी ,
और रूप अनेक लिए भी ।
करती सृजन सुकोमल कर से ,
यह जीवन प्रेम लिए भी ।

तुम कर्त्तव्य पथ पर आ जाओ ,
संप्रति जगत में छा जाओ ।
बन श्रद्धा उर में समा जाओ ,
सीता , सावित्री बन जाओ ।

हो मनुज कोटि की शतरूपा ,
बन फूलो फलो जगतरुपा ।
हर माँ का रूप भगवतरूपा ,
माना सारा संसार प्रतिरुपा ।

आज रूप बदलो पर आदर्श वही ,
तनमन की निर्मल भक्ति सही ।
छा जाओ तिमिर पर उजाला बन ,
बन जाओ सुंदर सम्यक उपवन ।

अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर)

Leave a Reply