राष्ट्र निर्माता-मनु कुमारी

राष्ट्र निर्माता

तोड़कर हर बाधा विध्न को जो
चलते रहते निज कर्तव्य पथ पर
कर्म को हीं धर्म मानें सीधी हो जिनकी डगर
बच्चों को सही राह दिखाते
उच्च चरित्र का निर्माण कर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर..

“शिक्षा” का अलख जगाते जो
जिनमें होती है “क्षमा” भरी
जिसके हृदय में हो करुणा की धारा
जिन्हें कहते गुरु दुनियाँ सारी
ज्ञान का जो प्रकाश भरते
अज्ञान का अंधकार हर कर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर….

जो बच्चे पढने से घबराते
कुछ कहने से भी कतराते
उनसे मैत्री का हाथ बढ़ा
माता पिता का प्यार लुटा
बच्चों को सिखाने को रहते तत्पर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर….

खेल-खेल में पाठ पढा कर
बच्चों को कहानियाँ सुनाकर
टी.एल.एम का स्वयं निर्माण कर
सिखाने में नवाचार अपनाकर
सीखने-सिखाने को रहते अग्रसर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर.. …

समय पर विद्यालय खोलते
चेतना सत्र का आयोजन करते
“सीखने की योजना” का प्रयोग करके
सीमित संसाधनों का उपयोग करके
बच्चों को वह सिखलाते हैं
नहीं रहते मकान जहाँ पर
वृक्ष तले पढाने को रहते तत्पर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर….

सादा जीवन उच्च विचार
संयमित होते आचार व्यवहार
समुदाय से मिलकर रहते
शिक्षण से वह करते प्यार
कठिनाइयों से वह नहीं डरते
हर मुश्किल को आसान करते
राह चाहे कंटीली क्यों न हो
हर चुनौतियों का सामना करे डटकर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर…..

चाहे आंधी आए, तुफान आए
बाढ आए, भूकंप आए
तनिक भी विचलित न होना तुम
धैर्य, हिम्मत कभी नहीं खोना तुम
बचने का तरकीब सिखाते हँसकर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर……

शिक्षक से कोई बड़ा नहीं
शिक्षा सा कोई धन नहीं
चाहे रखी हो बड़ी से बड़ी किताब
गुरु बिन बनै न कोई हिसाब
शिक्षक से राष्ट्रपति बने राधाकृष्णन
जिनकी कीर्ति से प्रकाशमान हैं दिनकर
राष्ट्र निर्माता कहलाते वो
बच्चों के वह होते हितकर

मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका
मध्य विद्यालय सुरीगांव
बायसी पूर्णियाँ

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