सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ-मनु कुमारी

सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ

सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ
जीवन की परिभाषा हूँ
मैं जन जन की भाषा हूँ
जिसने काल को जीत लिया
ऐसी कालजयी भाषा हूँ
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

मैं देश की आत्मा हूँ
और भावना की साज हूँ
देख लो चहुँ ओर मुझको
मैं हर बच्चे की तोतली आवाज हूँ
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

प्रेम सुधा बरसाने वाली
लोगों का मन हरसाने वाली
मानवता को जन्म देने वाली
हृदय से सबको जोड़ने वाली
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

मैं हूँ प्रेमचंद की लेखनी,
और महादेवी जी की गान हूँ,
दीनबन्धु निराला के भावों की पहचान हूँ,
विविधता में एकता की पाठ पढाने वाली
एक सूत्र में बाँधने वाली भाषा हूँ
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

वैसे तो मैं हूँ राजभाषा
पर मानी जाती हूँ राष्ट्रभाषा
सभी भाषाओं की मैं हूँ रानी
मेरी हीं भाषा से तुम सुनना चाहो कहानी,
सुन्दर, मधुर, सहज सरल रूप में
सबके हृदय में स्थान बनाती हूँ
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

मैं मान हूँ, सम्मान हूँ
देशवासियों की गुमान हूँ
गाँधी जी की आत्मा हूँ
तुम सब की स्वाभिमान हूँ
देश के बगिया की मनमोहक मुस्कान हूँ
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

संस्कृत से उत्पन्न हुई हूँ
हिन्दुस्तान की अस्मिता हूँ मैं
मैं बनी सरताज राष्ट्र की
अन्तर्राष्ट्र में भी अलख जगाई हूँ
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

आज है बच्चों हिन्दी दिवस
एक वादा मैं तुमसे चाहती हूँ
अपने होंठो से हमें लगाए रखना
हर जगह मेरा गुनगान करना
मैं प्रगति करूँ, और कीर्ति गढूँ
मैं तुमसे ये आशा रखती हूँ
सुन लो बच्चों मैं हिन्दी हूँ
अपने देश के माथे की बिन्दी हूँ।

मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका
बायसी पूर्णियां
(बिहार)

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