रूपघनाक्षरी- एस.के.पूनम

S K punam

प्रभु रामचंद्र कहें,
संतन के संग रहें,
उदार भावना गहें,पूजनीय सतनाम।

नित्य प्रति पाठ करे,
दुजा कोई काम परे,
भक्तों का विपदा हरे,लेते रहें हरि नाम।

जात-पात भेदभाव,
हृदय में देता घाव,
बैठे हैं केवट नाव,पहुँचे हैं प्रभु धाम।

पुरुषार्थ साध कर,
कृतार्थ धरती पर,
पद चिन्ह छोड़ कर,किये मानवीय काम।

एस.के.पूनम

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