प्रस्तुत कविता ह्रदय में देश के प्रति सेवा भाव रखने वाले हमारे वीर जवानों पर आधारित है
मरने के बाद भी जिसका जिस्म
खुशबू – ए वतन फैलाएगा
मिट्टी का कर्ज़ चुकाने जो
मरकर के भी जी जाएगा,
गिर कर के भी जो उठ जाएगा
भारत माँ की संतान वह,
देश का शहीद जवान कहलाएगा।
ए शत्रुओं ! कायरों की भांति
क्या हड़पते हो मुल्क हमारा
उठी बाजुएं वर्दीवाले की जिस दिन
कंपन करेगी समस्त भूमि उस दिन
ज़ुबान पर इंकलाब का नारा लिए
दिल में सरफरोशी की तमन्ना लिए
गरजकर उठेगा शस्त्र हमारा
होगा घोर विध्वंस तुम्हारा ।
विनाशकारी आग की लपटे
उठेंगी स्वतंत्र गीत की ध्वनियां बजेंगी
वचन निभाएगा जब वह फ़ौजी..
मातृभूमि के मान का!
तिरंगे की शान का !
स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का !
हिन्दुस्तान ही जिसका धर्म है,
हिन्दुस्तान ही जिसका जीवन
स्वप्न भी जिसका तिरंगा था
और कफ़न भी उसका तिरंगा है
हाँ! अमर द्वीप इस भूमि का वह
भारत मां की संतान है ..
भारत भूमि का मान है ।
एक सलाम हथेली पर जान रखने वाले उस हिन्दुस्तानी के नाम !
एक सलाम दिल में हिन्दुस्तान रखने वाले उस सेनानी के नाम !
[[ प्रस्तुत पंक्तियां शहीदों के सम्मान में अर्पित है, जिन्होंने भारतीयों के रक्षण हेतु हर्षपूर्वक अपने प्राणों की कुर्बानी दी ]]
की स्मरण रहे….
निद्रा पूर्ण करते तुम घर पे
आखिरी श्वास लेता वह सरहद पे।
ऋणी है हम उसकी शहादत के
नतमस्तक नमन उस शहीद जवान को,
अर्पित की जिसने रक्त की हर एक बूंद को।
जय हिन्द ! धन्यवाद!
ग्लोरी सिंह
Glory Singh