सरस्वती वंदना-कुमकुम कुमारी

सरस्वती वंदना

जय माँ शारदा भवानी,
हे माँ जग कल्याणी।

हम आए माँ द्वार तुम्हारे,
दूर करो माँ कष्ट हमारे।
ज्ञान का माँ ज्योत जला दो,
मन से बैर का भाव मिटा दो।
जय माँ शारदा भवानी,
हे माँ जग कल्याणी।

ब्रह्मा ने जब सृष्टि रचाया,
तुम बिन जग सूना-सूना पाया।
वागेश्वरी रूप धरि चलि आयी।
वीणा की मधुर तान सुनाई।
जय माँ शारदा भवानी,
है माँ जग कल्याणी।

देवों पर जब संकट छाया,
महिषासुर ने उपद्रव मचाया।
दुर्गा रूप तुम धरि चली आई,
महिषासुर को मार गिराई।
जय माँ शारदा भवानी,
हे माँ जग कल्याणी।

शुंभ-निशुंभ जब उग्र हो आया,
तीनों लोकों में तबाही मचाया।
कौशिकी रूप धरि चली आई,
शुंभ-निशुंभ को मार भगाई।
जय माँ शारदा भवानी,
हे माँ जग कल्याणी।

रक्तबीज असुर अति बलशाली,
त्रिभुवन में अशांति फैलाई।
कालिका रुप धरि तुम चली आई,
रक्तबीज को स्वर्ग पैठाई।
जय माँ शारदा भवानी,
हे माँ जग कल्याणी।

आज धरा पर फिर विपदा आया,
मानव पर घोर संकट छाया।
जग कल्याणी बन चली आओ,
हमारी सारी विपदा मिटाओ।
जय माँ शारदा भवानी,
जय माँ जग कल्याणी।

कुमकुम कुमारी
शिक्षिका
मध्य विद्यालय बाँक
मुंगेर, बिहार

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